<style> footer { visibility: hidden; } img { display: block; margin-left: auto; margin-right: auto; } body > .ui-infobar, body > .ui-toc, body > .ui-affix-toc { display: none !important; } body::-webkit-scrollbar { width: 0 !important } body { overflow: -moz-scrollbars-none; } body { -ms-overflow-style: none; } .markdown-body { font-family: "Kohinoor Devnagiri"; text-align:justify; font-size:1.3em; padding-top:0.2em; } .markdown-body h1 { font-size:1.7em; } .markdown-body h2 { padding-top:1em; font-size:1.5em; border-top: 1px solid #eee; border-bottom: 1px solid #fff; } .markdown-body h3 { font-size:1.3em; } #doc.comment-enabled.comment-inner{ margin-right:0px; } .video-container { overflow: hidden; position: relative; width:100%; } .video-container::after { padding-top: 56.25%; display: block; content: ''; } .video-container iframe { position: absolute; top: 0; left: 0; width: 100%; height: 100%; } </style> # ललिता सप्तमी की संपूर्ण जानकारी ![]( https://srm-cdn.a4b.io/images/orig/wRulbw2xrOu3TMz3eJQPaIrz1NuD8qaO.jpeg?w=1080&h=1080) हिंदु धर्म के अनुसार ललिता देवी, श्री कृष्ण और देवी राधा की सबसे प्रिय सखी मानी जाती हैं। ललिता सप्तमी का व्रत, राधा देवी की सखी ललिता को समर्पित है, इसे ललिता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन, भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा के साथ ललिता देवी की पूजा अर्चना करने से, श्री कृष्ण और राधा रानी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। **आज हम आपको, ललिता सप्तमी की पूजा विधि और इस पर्व की तिथि से संबंधित जानकारी देंगे-** ललिता संप्तमी पूजा, भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन की जाती है। इस वर्ष, 2022 में ललिता सप्तमी 2 सितंबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। **आईये अब जानते हैं कि किस प्रकार ललिता सप्तमी के दिन पूजा की जाती है।** ![](https://srm-cdn.a4b.io/images/orig/T8T1JK4zuc7nbSyRarGEixIc0VKRx8tk.jpeg?w=1080&h=1080) **लल‍िता सप्‍तमी की पूजा करने वाले भक्तों को-** * सुबह-सवेरे उठकर नित्य कर्मो से निवृत होकर स्नान आदि करके, नये वस्त्र धारण करने चाहिए। * इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करनी चाहिए * साथ ही गंगाजल छिड़क कर मंदिर के वातावरण को शुद्ध कर लेना चाहिए। * इसके बाद आप पूरे विधि-विधान से पूजा करें और देवी ललिता की पूजा विशेष रूप से करें। * उनकी प्रतिमा या चित्र को तिलक लगाएं और रोली, अक्षत, पुष्प, फल, भोग, धूप, जल समेत संपूर्ण पूजन सामग्री अर्पित करें। * अंत में देवी जी की आरती उतारें और अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। **ललिता सप्तमी पूजा के लाभ-** ![]( https://srm-cdn.a4b.io/images/orig/Wl8RKpHuwQylBw3HiXyRkzFG8HPbmiwq.jpeg?w=1080&h=1080) हिंदु धर्म में ऐसी मान्‍यता है, क‍ि इस व्रत को करने से नवविवाहित जोड़ों को स्वस्थ और सुंदर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसके अतिरिक्त, यह व्रत, संतान की अच्‍छी सेहत और लंबी उम्र के ल‍िए भी रखा जाता है। इस व्रत को रखने से, जातक के जीवन में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहती है। तो यह थी, ललिता सप्तमी से जुड़ी पूजा की विस्तृत जानकारी। ऐसी और भी धर्म सम्बंधित जानकारियों और पर्व के बारे में जानने के लिए, बने रहिए श्री मंदिर के साथ।